Samlamb, Samantar, Sam, Chaturbhuj Kise Kahate Hain.
- Aman Kumar
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Chaturbhuj Kise Kahate Hain. चतुर्भुज किसे कहते हैं।
किसी समतल में चार एकतलीय बिन्दु इस प्रकार हों, कि उनमें से कोई तीन बिन्दु सरेखा न हों , तो इन बिन्दुओं को एक क्रम में मिलाने पर प्राप्त चार रेखाखंडों से घिरी आकृति को Chaturbhuj कहते है।
चतुर्भुज के प्रकार और सूत्र ।
Chaturbhuj Ka Kshetrafal. चतुर्भुज का क्षेत्रफल =1/2×AC×(H1+H2) है।
जहां पर AC उसका विकर्ण है और h1, h2 इसका ऊंचाई है। और इसका परिमाप =सभी भुजा का योग होगा। नीचे चित्र से समझे ।
चतुर्भुज के प्रकार निम्न है :-
1. समांतर चतुर्भुज
2. समचतुर्भुज
3. समलंब चतुर्भुज
समांतर चतुर्भुज का गुण बताएं
समानांतर चतुर्चुज वह चतुर्मुज जिसमें सम्मुख भुजाओं का प्रत्येक युग्म परस्पर समानान्तर हो, समानान्तर चतुर्भुज कहलाता है।
समांतर चतुर्भुज का गुण निम्न है :-
२.सम्मुख भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं।
३. जिसके सम्मुख भुजा समांतर होते हैं
४. समांतर चतुर्भुज का विकर्ण का सूत्र जब असामान होते हैं इसका क्षेत्रफल = आधार × ऊंचाई परिमाप=2(लंबाई+चौड़ाई) और ज्यादा नीचे चित्र में से समझे ।
Samantar Chaturbhuj Ka Kshetrafal. समांतर चतुर्भुज का क्षेत्रफल ।
Note:- प्रत्येक आयत एक समांतर चतुर्भुज होता है लेकिन प्रत्येक समांतर चतुर्भुज एक आयत नहीं होता है।
Sam Chaturbhuj Ka Kshetrafal. सम चतुर्भुज का क्षेत्रफल।
समचतुर्भुज का क्षेत्रफल = आधार × ऊंचाई
समचतुर्भुज का क्षेत्रफल निकालने का आसान तरीका :-
इसका क्षेत्रफल इसमें एक समांतर Chaturbhuj और त्रिभुजों बनाकर दोनों का क्षेत्रफल निकाल कर उसको जोड़ कर इसका क्षेत्रफल निकल सकते है
नीचे चित्र से समझे ।
समचतुर्भुज वह समांतर चतुर्भुज है जिसके सम्मुख भुजा क्रमागत युग्म परस्पर समान हो, इसे समचतुर्भुज कहते हैं ।
समचतुर्भुज के गुण एवं विशेषता :-
१. सभी भुजा बराबर होते हैं/ समान होती है
२.इनके विकर्ण 90 डिग्री के कोण पर सामान दो भुजा में बांटते हैं।
३.प्रत्येक कोण 90 डिग्री का होता है, सभी कोण बराबर होते हैं
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{ भुजा= 1/2 × √d1+d2 } [ परिमाप=भुजा ×4 क्षेत्रफल 1/2×d1×d2 है। ] , जहां पर D उसका भी विकर्ण है नीचे चित्र से समझे ।
Samlamb Chaturbhuj Ka Kshetrafal. समलंब चतुर्भुज का क्षेत्रफल ।
समलंब चतुर्भुज वह Chaturbhuj है जिसका सिर्फ दो (AB=BC) भुजा समांतर होते हैं,बराबर नहीं होता है इसे समलंब चतुर्भुज कहते हैं।
समलंब चतुर्भुज के गुण एवं विशेषता :-
२. इसके कोई भी कोण का मान निश्चित नहीं होता है
३. इस चतुर्भुज में एक समांतर चतुर्भुज और एक त्रिभुज बनता है जो समकोण त्रिभुज होता है ।
४.विकर्ण भी असमान होते है। समलंब चतुर्भुज का सूत्र :- 1/2×समांतर भुजा का योग ×ऊंचाई